तेरा मुझपे काबू है
तूही काशी काबा है
हाट हाट पर क्यों मैं घुमु
साथ मेरे तू बाबा है
मैं जीता हूँ यह जहमत तो
तूही उठाता है देवा
और कष्ट क्यों दे दूँ तुझको
नहीं करता मैं तेरी सेवा
अब आराम फ़र्माना है
तेरे सायेमें सोना है
बस इतनी तसल्ली दे साँई
तू छोड़ मुझे ना जाना है
जगसे जागा तुझमें खोया
ना पलटूँगा अब दोबारा
तेरी चाहतके आगे तो
नहीं चलता है बस मेरा