गुरुवार, 28 जून 2012

नशा


तेरे मीठे नामसे 
आती है नशा 
कर्तव्य कर्म सभी 
पीछे छुट जाय 

क्या करूँ और कुछ 
सूझे नहीं मुझे 
घोर चिंता आसपास 
फटकने ना पाय 

तेरा नाम लेकर 
खाता हूँ मैं रोटी 
जितना तू देता है 
वोही काफी हो जाय 

सर्वव्यापी रामा मुझे
इतना सुख तू देता है  
तेरा नाम लेकर मेरा 
मन भर जाय 


भगवन्नामके रसको 
पीते जाओ प्यारों 
कोई बाधा कभी ना 
आकर तुम्हे सताय 


आतंक तो सभीका 
दुश्मन है साथीयों 
खुदका और दुजेका 
सुख चैन लिये जाय 


आतंकसे करो तौबा 
नाम लो अल्लाहका 
वोही हमको उबारेगा 
और ना कोई उपाय


इब्लीसकी बातोंमें  
मत फँसो यारों 
आतंक तो जुर्म है 
दुख देता जाय


तुम सभी मेरे 
जिगरके टुकड़े हो 
बिना किसी मकसदके
जान ना चली जाय


ख्वामख्वाह मत मरो
लाडले बच्चों मेरे
रोब और पैसोंसे 
इज्जत चली जाय 


पैसोंसे सुकून जाय 
आतंकसे अमन जाय 
सिर्फ अल्लाहके नामसे 
ख़ुशी मिल जाय   






गुरुवार, 21 जून 2012

परमपद


तृष्णाके त्यागसे
परमपद प्राप्त होता है 
जैसे ऊपर जानेवाली
ज्वाला निष्फल होती है 
उस तरह अपने
कर्म निष्फल समझो 
उनसे कोई अपेक्षा मत करो 
और जो कुछ मिलता है 
उसमें संतुष्ट रहो
जितना हो सके 
उतनाही काम करो 
जिंदगी आपसे बहुत
अपेक्षा नहीं करती
इसलिए जरुरतसे
ज्यादा काम मत करो


ॐ 
प्रखर प्रज्ञायै विद्महे 
महाकालायै धीमहि 
तन्नो श्रीराम:
प्रचोदयात्
ॐ 


    

शुक्रवार, 8 जून 2012

ईश्वर




 चर्चे तेरे रहमके
घर घर में गूँजते है 
तेरा नाम लेके अल्लाह 
तेरे बन्दे झूमते हैं 

जिंदगी है बहता दरिया 
अगला पल नया किनारा 
पग पग पर तेरा उजाला
अँधियारा ख़त्म हुवा है 

हम क्यूँ ना सरको झुकाएँ 
हर ओर नजर तू आता 
हर ओर तेराही नजारा 
हर ओर तुझे पाते हैं  

क्यूँ ख़त्म हो मिलन हमारा  
एक तू ही हमें मिलता है
एक तुझे छोडके खुदाया 
कुछ और ना हम पाते हैं 

तेरा नाम क्यूँ ना गाएँ 
सबकुछ तू ही हमारा 
तेरे सिवा ना कोई 
दाता हमें मिला है 

पलकें झुकी हमारी 
तुझे याद कर रहे हैं 
तू ही पास है हमारे
और दूर भी तू ही है 

 तू ही शिव है तू है अल्लाह 
सबमें रचा बसा है 
यह जो दूरियाँ है सारी
बस नामकी बनी है 

तुझे छोडके जहाँमें  
कुछ भी नहीं है रामा 
तू जिधर नहीं है ऐसी
कोई जगह नहीं है

ईश्वर तो एकही है 
हम भी जुदा नहीं हैं 
 नहीं गलतफहमी अब कुछ
हम सब तेरे हुवे हैं

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