बाढ़


फूटता है प्यार इतना
दिलकी दिवारोंसे क्यूँ
क्या है अल्लाह बाढ़की इस

वजह कुछ पता नहीं

पेड़ पौधे प्यारे मेरे

जानवरभी दोस्त है
रिश्ता इन्सानोंसे दिलका

चाहता मैं सबको हूँ

सबकी खुशियाँ मेरी है

और आँसुभी सबके मेरे
मुझमें पायें सब किनारा

भीगता यूँही रहूँ

यूँही तेरी रहमतोंका

किस्सा मैं बनकर फिरूँ
मुझको देखें तुझको पायें

और कुछ मैं ना रहूँ

सब चिरागोंमें झलकती

रोशनी यह तेरी है
एक तू है तूही है बस

और जियादा कुछ नहीं

खुदाया मुझपे यूँही

छाया रहे तेरा सुरूर
याद बस तेरी रहे

यह जाँ रहे या ना रहे

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