बुधवार, 23 दिसंबर 2009

सांईने बुलाया


अहं निर्विकल्पो निराकाररूपो
विभुर्व्याप्य सर्वत्र सर्वेंद्रियाणाम्
सदा मे समत्वं मुक्तिर्न बन्ध:
चिदानंदरूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम्

चलो आज यह करें फैसला
दुनियाने ठुकराया है
या सांईने बुलाया

बाहरकी तू मार है खाया
तभी तो अपने अंदर आया
बाहरही तू खोया रहता
तो क्या सांईको अपनाता
सुख देनेके लिए रुलाया
सांईने बुलाया तुझको सांईने बुलाया

वो क्या गंदे सुख हैं प्यारे
तुझे क्षति पहुंचाते
अपनीही नजरोंमें गिराते
तुझे खोखला करते
जान आज किसलिए तू आया
सांईने बुलाया तुझको सांईने बुलाया

ऐसा अब कुछ कर दे प्यारे
खुदभी सुखी हो जगको सुखी कर
भक्तिसुधामें मस्त हुए जा
गाये जा जो पाया
नामका अमृत बाँटने आया
सांईने बुलाया तुझको सांईने बुलाया