सोमवार, 3 दिसंबर 2007

आराम

तेरा मुझपे काबू है
तूही काशी काबा है
हाट हाट पर क्यों मैं घुमु
साथ मेरे तू बाबा है

मैं जीता हूँ यह जहमत तो
तूही उठाता है देवा
और कष्ट क्यों दे दूँ तुझको
नहीं करता मैं तेरी सेवा

अब आराम फ़र्माना है
तेरे सायेमें सोना है
बस इतनी तसल्ली दे साँई
तू छोड़ मुझे ना जाना है

जगसे जागा तुझमें खोया
ना पलटूँगा अब दोबारा
तेरी चाहतके आगे तो
नहीं चलता है बस मेरा