बुधवार, 19 मई 2010

दोस्ती



जानूं ना क्या तुमसे रिश्ता जो जिगरको खींचता
क्या कहूँ खुशीभी यह बर्दाश्त अब होती नहीं

खुश तुम्हें देखूँ हमेशा रबसे मेरी इल्तिजा
अपनेमे कोई दरार पैदाही हो सकती नहीं

जंग लड़ते लोग हैं अक्सर है देखी दुश्मनी
क्या अजीब यह बात है यूँ दोस्ती देखी नहीं

मंगलवार, 18 मई 2010

पुकार



मरना मारना छोड़ दो
कुछ जीनेकी बात करो
अब तौबा करो जंगसे
यह जिहादका वक़्त नहीं यारों

कब तक घिन पालते रहोगे
प्यारभी कोई चीज हैं प्यारों
इस्लाम रहमतका नाम है
अल्लाहको रुसवा मत करो

लहू लुहान हो गये हो
झुलस रहे तुम्हारे बदन
शैतानके शिकंजेसे
छुडाभी लो अपने ज़हन

अमनका पैगाम सुनो
चैनकी अब साँस लो
गलतफहमीके धुँदले बादल
पिघल रहे है देख लो

चाहता मैं कुछ नहीं
बेवजह यह प्यार है
सुन सकते हो तो सुनो
यह दिलसे दिलकी पुकार है

बुधवार, 5 मई 2010

विजयगाथा



अक्सर अज्ञान समझता है
कि वह हावी हो चुका है
मौत सदियोंसे मारती आयी है
लेकिन जिंदगी मरती नहीं
पत्थरोंमेंभी कपोले निकलते हैं
पौधे पनपकर दरख़्त बनते हैं
क्योंकि जिंदगी हरहमेश सच है
होना कभीभी नहीं में तबदील नहीं होता
शुन्यता झूठ है
मौत सिर्फ गलतफहमी है
मौतके सौदागरों
तुम जिंदगीसेही हारे हुए हो
हम तुमसे नहीं डरते
यह हमारा जीनेका नजरिया है
यह ज्ञानकी विजयगाथा है