भरभरके देता खुदाही तुझे खुद
रोता क्यूँ रहता है बन्दे हमेशा
बेफिक्र होके खुशीसे जिये जा
चिंता तुझे क्युँ होती है सदा
चिंता तुझे क्यूँ रुलाती है ऐसे
मालिकपे तुझको भरोसा नहीं क्या
सुख लेना गुनाह नहीं मेरे प्यारे
करता तू क्यूँ शक खुदपे है सदा
मालिक की मेहेरबानी है पूरी
चिंता तुझे छोड़ देनी है सारी
तेरी फ़िक्र वोही है करता हमेशा
जिसने तेरी बाँह थामी है सदा
उसके भरोसेपे छोड़ दे खुदको
जिसने तुझे है भेजा यहाँ
वोही सोचता है अच्छा बुरा क्या
निगाह ए करम जिसकी तुझपे सदा
डर डरके जीना छोड़ दे बन्दे
अल्लाह तेरे साथ है खुद सदा
ना करना ऐसी चिंता दुबारा
तेराही है जो तेरा है सदाचन्दनकी खुशबू कोयलकी तान
सोनेको मिली तेरा क्या गया
अच्छाईका इनाम अच्छाही मिला है
तेराही था अल्लाह तेरा है सदा
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हरि ॐ तत्सत्
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