शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

भरोसा



भरभरके देता खुदाही तुझे खुद
रोता क्यूँ रहता है बन्दे हमेशा
बेफिक्र होके खुशीसे जिये जा
चिंता तुझे क्युँ होती है सदा

चिंता तुझे क्यूँ रुलाती है ऐसे
मालिकपे तुझको भरोसा नहीं क्या
सुख लेना गुनाह नहीं मेरे प्यारे
करता तू क्यूँ शक खुदपे है सदा

मालिक की मेहेरबानी है पूरी
चिंता
तुझे छोड़ देनी है सारी
तेरी फ़िक्र वोही है करता हमेशा
जिसने तेरी बाँह थामी है सदा

उसके भरोसेपे छोड़ दे खुदको
जिसने तुझे
है भेजा यहाँ
वोही सोचता है अच्छा बुरा क्या
निगाह करम जिसकी तुझपे सदा

डर डरके जीना छोड़ दे बन्दे
अल्लाह तेरे साथ है
खुद सदा
ना करना ऐसी चिंता दुबारा
तेराही है जो तेरा है सदा

चन्दनकी खुशबू कोयलकी तान
सोनेको मिली तेरा क्या गया

अच्छाईका इनाम अच्छाही मिला है
तेराही था अल्लाह तेरा है सदा


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हरि ॐ तत्सत्
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