शिव
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यह सच्चिदानंद परमात्मा गॉड अल्लाह है.
सर्वव्यापक, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, शाश्वत, कभीभी ना बदलनेवाला, निराकार, हमेशा आनंदी और नित्यतृप्त, अकर्ता .केवल एक अकेला.ज्ञान और अज्ञान के परे, निर्विचार, निर्विकार, निर्विकल्प समाधिमें स्थित,अनादि, अनंत .
भवानी
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परमेश्वर की इच्छा (इंशा अल्लाह) जो जगदाभास निर्माण करती है.यह केवल एकही सर्वव्यापक भगवान के अधिष्ठानके ऊपर विविधता, अनेकता, अनित्यता दर्शाती है .यही स्पिरिट ऑफ़ गॉड कहलाती है. जैसे सिपके ऊपर चांदी का आभास होता है वैसेही नित्य शिवके ऊपर अनित्य जगत् का आभास इस परमेश्वरी इच्छा कि वजहसे होता है . शिवभवानी हमेशा साथ होते है जैसे शक्कर के साथ मिठास होती है या दूध के साथ सफेदी होती है . लेकिन जब शिव (शाश्वत सत्य)दिखता है तब भवानी नहीं दिखती और भवानी (अनित्य जगदाभास) दिखती है तब शिव नहीं दिखता
जिवात्मा
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यह अपने ज्ञानेन्द्रियोंके धोखेमें आकर खुदको शरीर समझ बैठता है; जबकि वह भी परमात्मस्वरूपही है.इसी वजहसे वह अपना सच्चिदानंद स्वरूप भूल जाता है .
शिवभवानी अद्वैत
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भवानी हमेशा शिवके साथ होती है तथा शिवरूपी सत्य को ढक देती है.जब सद्गुरु तत्वमसि महावाक्यसे शिष्य को अपने ब्रह्मस्वरूपका बोध कराते है तब भवानी अदृश्य होकर शिव के दर्शन होता है.इसको आत्यंतिक विलय कहा जाता है.
जैसे जब पर्याप्त उजाला ना होनेकी वजहसे आदमीको डोरिकी जगह साँप दिखाई देता है और सद्गुरु जब रोशनी करते है तो वह डोरी दिखाई देती है और शिष्य का डर पूर्णतया हमेशा के लिए निकल जाता है .वैसेही अब इस ज्ञानवान् अवस्थामें शिष्य को माता भवानि भी शिवस्वरूप ही दिखती है और अद्वैत सिद्धि होती है.
माता जगदंबा भवानी की कृपासे हमें शिव परमात्मा के दर्शन हो.
ॐ
अहं निर्विकल्पो निराकाररूपो
विभुर्व्याप्य सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम्
सदा मे समत्वं न मुक्तिर्न बन्ध:
चिदानंदरूप: शिवोहम् शिवोहम्