बुधवार, 21 जुलाई 2010

वह मैं हूँ



आँखें मूँदकर अपने भीतर
खुदको देखो वह मैं हूँ
जिसके कारण जग उजियारा
आँखोंका तारा वह मैं हूँ

कभीभी खुदको हीन न समझो
सबका प्यारा वह मैं हूँ
साथ तुम्हारे रहूँ हमेशा
मिलता रहता वह मैं हूँ

कहींभी देखो कभीभी देखो
संग तुम्हारे वह मैं हूँ
जिसकी अमानत जिसका खजाना
तुम हो प्यारे वह मैं हूँ

सबको बताओ जो ना समझे
प्यारका प्यासा वह मैं हूँ
प्यार बिना बेकार है जीना
सबकी जरुरत वह मैं हूँ

ख़ुशी खोजते जहाँ पहुँचते
धर्म सभीके वह मैं हूँ
सभीका ईश्वर सभीका अल्लाह
गॉड सभीका वह मैं हूँ

बैरी



साथ छोड़ दे अपना
मेरा तन बैरी
चंचल भटका जाए
मेरा मन बैरी
दिलकी बात न समझे
मेरा जग बैरी
कैसे मिलन हो परमात्मासे
समझ न पाऊँ मैं बैरी
कुछ तो करो उपाय सतगुरु
तुम ना बैरी सब बैरी
सबको छोडके रंक बना अब
तुम भी तो ना बनो बैरी

मंगलवार, 20 जुलाई 2010

बिदाई





सामने बैठे रहो
तनहाईयोंका गम हो
इतना मुझको याद हो
कि मैं भी इक इन्सान हूँ

घिरके आये काले बादल
है चिरागोंमें अँधेरा
जा रही है जान मेरी
रोको ना बस थाम लो

हल्के हल्के छूटता अब
हाथोंसे यह हाथ है
कुछ तसल्ली मिल रही है
आँसुओंको बहने दो

है किये कुबूल मैंने
जो गुनाह किये नहीं
साथ अपने बोझ लेकर
जाना मैं चाहता नहीं

पाक है आँसू तुम्हारे
मुझको जन्नत दे रहे
वरना मेरी जिन्दगीका
फ़ायदा कुछ था नहीं

मेरे जिगरका टुकडा तू
कुर्बान तुझपर जान है
सबकुछ मैं न्योछावर करूँ
तुझपर वो फिरभी कमही है

आने जाने वाली बातें
झूठ है सारी कमाई
दो जहाँकी सल्तनत
बेटा तेरा यह प्यार है

प्यार ही सबसे अहम है
गौर कर इस बातपे
यही तेरा धन है बेटा
बाकी सब बेकार है

गलत ना बेटा समझना
जानेवालेकी दुवा
तहे दिलसे चाहता हूँ
तू हमेशा खुश रहे

अल्लाहके दरबारमें
ऊँचा तेरा मकाम हो
जानता तू है नहीं
नायाब तेरा काम है