गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010

मकाम





हम जहाँ हैं वहाँ आना जाना नहीं होता
मरना
मारना नहीं होता सवाल जवाब नहीं होता

अपना पराया नहीं होता जीत हार नहीं होती
यहाँ
सिर्फ प्यार है नफ़रत तकरार नहीं होती

यह मकाम हैं जहाँ आसान जिंदगी होती है
खुबसूरत
और खामोश तनहाई होती है

कुछ मिले मंजूर है ना मिले मंजूर है
जीने या मरनेकी जिद नहीं होती

खुदामें खोये हुए हम दुखोंसे जुदा हुए
यह
खुदाका फरमान है इसलिए बता रहे

कुछ गुत्थियाँ सुलझ जाएँ कुछ भेद खुल जाएँ
हमारी मर्जी नहीं है यह उसीका अरमान है

रविवार, 7 फ़रवरी 2010

गुस्ताखी


अल्लाहसे जो इश्क हुवा
इस देनको जाहिर कैसे करूँ
ये बेअसर लफ्जभी
नाकामयाब हो जाते हैं
गरजकर बादल बरसते है
और भीग जाती है
दिलकी जमीं
दुनियाभरके प्यारको
समेटना आसान नहीं होता
जोश बेताब लहरोंको
इस तरह आता हैं
जाने दिल कहाँ
यूँही बहते जाता है
परवरदिगार मुझे इतना
अमीर क्यूँ बनाया तूने
खज़ाना उमड़ पड़ता है
संदूक डूब जाती है
जिस्मोजहनका
पताही नहीं मिलता
गुस्ताखी इस कदर
हदसे पार होती है
यादे हक भूलके
अनल हक बनता हूँ
गलती मेरी नहीं है
खुदा तेरी मर्जी है
वरना बन्देके मुँहसे
बात निकलती नहीं
तेरे नामकी मिठाससे
चुप्पी साध लेता हूँ

सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

भिखारी


अहं निर्विकल्पो निराकाररूपो
विभुर्व्याप्य सर्वत्र सर्वेंद्रियाणाम्
सदा मे समत्वं मुक्तिर्न बन्ध:
चिदानंदरूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम्






मंदिरमें आके हमभी
इक गुनाह करके बैठे
देनेको हम आये
वो भिखारी समझके बैठे

क्या करें उस मिल्कियतका
हमको दाता क्या है कम
दौलतमें बहते आये हम
वो चोर समझके बैठे

अच्छा हो गया ऐ मालिक
आँखोंसे परदे हटे
देने आये हम ग्यान
वो अनाड़ी समझके बैठे

तूही हमको है घुमाता
इसलिए करे वो जुर्रत
रबको ना समझते
हमको जाने क्या समझके बैठे

दुशवार है बिन प्यारके
यह जिंदगी बेकार है
आओ अब गले लगालो
सांई दिलको थामके बैठे


ईद--मिलाद एवं होलीकी शुभकामनाएं