रहम


बन्देने अपना बच्चा दिया
मालिकने अपना फ़रिश्ता दिया
बात है उस कुर्बानीकी
सोचो किसने क्या दिया
 
हदसे गुजर जानेकी
बात जब होती है
कानून बदल जाता है
रस्म अलग होती है
 
लेकिन यह आम बात नहीं
खूनकी नदियाँ मत बहाओ
राज पहचानो ईमान और वफ़ाका
बातका बतंगड़ मत बनाओ
 
लाडले बच्चों मेरे
मैं नुख्स नहीं निकाल रहा
मालिकके प्यारे हो तुम
वह है तुम्हे पुकार रहा
 
आदत छूटना आसान नहीं है 
 फिरभी कोशिश करते रहो यूँही
उँचाईको पाना आसान नहीं है
पर आगे कदम बढाते रहो यूँही

गलतफहमीके परदे हटाओ
सचकी रोशनी आकर रहेगी
अपने आपसेही जंग है सभीकी
रहमकी जीत होतीही रहेगी


शाकाहार अपनाइए
उसपर कोई पाबंदी नहीं है
सबका भला होगा