शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

दिव्यता




कौवोंकी दावत तो
मृत मांसकी है
चकोर चाहता है
चाँदनी खाना

उबार ले भगवन
इंसान यूँ जीता है

तेरे बिना जैसे है
नरक जीना

भगवन तू सबका
साँसोंका सहारा
तुझबिन गुजारा
जीवन सूना

इंसान विषयोंकी
गंदगीमें धँसा है
अवसादमें फँसा है
ईश्वर बिना

भगवनकी दिव्यता
सबकी जरुरत है
मौतसे बदतर है
जिंदगी वर्ना


राम कृष्ण हरि

सांगा कुमुददलाचेनि ताटे 
जे जेविले चंद्रकिरण चोखटे
ते चकोर काय वाळूवन्टे    
चुंबितु आहाती