वासुदेव: सर्वम्



मैं सबका हूँ
मैं सबमें हूँ
और सब मुझमें है
मैं सर्वव्यापी चिरंतन तत्व हूँ
जो अतिजिर्ण होकरभी नित्यनुतन है
मैं अनादी एवं अपरिवर्तनीय हूँ
और अपने होनेके आनंदमें मग्न हूँ
जिसका कभी क्षय नहीं होता
कोई दुजा न होनेके कारण
मैं अहंकारसे लिप्त नहीं होता
इसलिए नि:शब्द निर्विचार अविचल
ज्ञान और अज्ञानके परे
निर्विकल्प केवलज्ञान हूँ
मैं सच्चिदानंद परमात्मा हूँ
मैं सोने ,चांदी एवं हिरोंसे प्रसन्न नहीं होता
मानवताकी सेवा करो
प्राणिमात्रसे दयाभाव रखो
फिर केवल मेरा नाम स्मरण करनेसेही
मैं संतुष्ट होता हूँ 
मैं तुम्हारी राह देखता यहाँ खडा हूँ
झिझकना नहीं घबराना नहीं
मैंने तुम्हारे लियेही सगुण रूप लिया है 
मेरी नजर में कोई पापी नहीं है
मेरे चरणोंके स्पर्शमात्रसे
तुम मेरी दिव्यताको प्राप्त करोगे
मैं सिर्फ इन सेवकोंके लिये नहीं
बल्कि मेरे प्यारे भक्तोंके लियेही खडा हूँ 
मैं तुम्हारा हूँ और तुम मेरे हो
मेरे अवतार का कारण ही तुम हो 

उन्नतीकी राहपर आगे बढ़ो 
मेरे पास आओ