गुरुवार, 21 अप्रैल 2016

चाह



तेरे नाममें रमुं श्रीहरि 
और मैं कुछ ना चाहूँ 
राम राम मैं कहता जाऊँ 
और मैं तुझको पाऊँ 

तुझको पाकर धन्य हो जाऊँ 
भवसागर तर जाऊँ 
परमानन्द को प्राप्त करूँ 
और तेरा ही हो जाऊँ 

तेरे चरण की धूल मैं बनूँ 
सदासुखी हो जाऊँ 
शान्तिस्वरूपा प्रभु दयालु 
तेरी कृपा मैं पाऊँ 

जगतसे मेरा ध्यान हटे 
मैं नित्य तुझेही ध्याऊँ 
अनित्य है जो भासमात्र है 
उससे दूर हो जाऊँ 

ॐ