मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

गुलशन



साँई बुला रहा है सबको
पास जाओ गले मिलो
अब ना डरकर छुपकर बैठो
घरसे बाहर अब निकलो

ये दीवारें झूठी है यारों
इनसे बाहर सकते हो
हम सब बिलकुल एक है प्यारों
इक दुजेसे मिल सकते हो

ईश्वर तो हम सबमें बसा है
हमसे बिलकुल जुदा नहीं है
हम आपसमें घुलमिल जाएँ
हमसे कोई खफा नहीं है

गन्दगी भरे देह हमारे
क्रोध वासना मनमें हमारे
नित्यशुद्ध ईश्वरकी लीला
रोम रोम में राम हमारे

कौन है अपना कौन पराया
क्या है मैला गन्दगी कैसी
कण कणमें और बूँद बूँदमें
राम है प्यारा जगन्निवासी

नित्यशुद्ध शाश्वत ईश्वरका
सभी जगह है साक्षात्कार
विकारका जो बोध हटे तो
सबकुछ है ईश्वर अविकार

मनमें
कोई खौफ ना पालो
ईश्वर तो बस प्यार है यारों
नफरतसे अब तौबा कर लो
दर्द कि छुट्टी कर दो यारों

दिलोंके चमन ना उजड़ेंगे
अपना गुलशन एक है प्यारों
चाहतकी कलियाँ महकेगी
सुखदुख अपने एक है यारों

जब तुम उसको देख सकोगे
मैल मिटेगा मनका सारा
मिट जाएगा अहंकार भी
सबमें
राम दिखेगा प्यारा


सदसच्चाहम्
*
सत्य ईश्वर और आभासी जगभी

मैं ही हूँ