रविवार, 28 अप्रैल 2013

सगुण अवतार



भगवान सगुण साकार अवतार लेनेपर भी कहते है की मैं सिर्फ एक देहकी मर्यादा में हूँ ऐसा समझनेकी भूल मत करो. मेरा सर्वव्यापक होना अबाधित होता है. भगवान जब अपनी विभूतियाँ बताते है तब भी कहते है की यूँ तो मैं सर्वव्यापक हूँ पर तुम मुझे सबमें देख नहीं सकते इसलिये मैं ऐसी विभूतियाँ बता रहा हूँ जिनमें मेरे गुण प्रकट स्वरूपसे दिखते हैं. लेकिन मैं सर्वव्यापी निराकार निर्गुण परमात्मा हमेशा हूँ. प्रकृति मुझ निरवयवको अवयव देके सजाती संवारती है. मैं हजारों आँखोंसे देखता हूँ और बगैर आँखोंके भी देखता हूँ, हजारों कानोंसे सुनता हूँ और बगैर कानोंसे भी सुनता हूँ . सबकुछ मेरे अधिष्ठानपर होता है पर मैं अकर्ता हूँ क्यों कि सारे कर्म प्रकृतिके राज्यमें होते हैं .परब्रह्म के राज्य में तो कर्म भी ब्रह्मस्वरूप हो जाता है , कुछ भी नहीं बचता. मैं सब जगह हूँ और एक मेरे सिवाय कहीं भी कुछ भी नहीं है पर मुझे पहचानने वाला हजारों लाखोंमें एकही होता है. आम आदमी मुझे जानता नहीं है. 

संत नामदेव को सिर्फ विठ्ठलजीकी मुर्तिमें ही भगवान है ऐसा लगता था. जब वह अपने गुरु विसोबा खेचर को पहली बार मिले तब विसोबाजी  शिवलिंग के उपर अपने पैर रख कर सोये हुए थे. नामदेवजी ने कहा की पैर हटाओ तो विसोबाजी ने कहा की मुझमें इतनी ताकत नहीं है, कृपया आप ही मेरे पैर ऐसी जगह रख दो जहां शंकर भगवान ना हो. जब नामदेवजी ने गुरुजीके पैर दूसरी जगह रखे तो जिस जिस जगह पर उनके पैर रखे वहीँ पर उन्हें शिवलिंग मिला. इस तरह उन्हें गुरुजीने भगवानकी सर्वव्यापकता का परिचय दिया.


जो बात भगवान की है वही बात किसीभी ज्ञानी व्यक्तिकी होती है. देहधारी होकरभी वह सर्वव्यापक होते है. दरअसल यह तो हर किसीकी बात है. लेकिन जो समझा वह पार उतर गया, जो नहीं समझतें उनका क्या ?


जय जय राम कृष्ण हरी 

 

मंगलवार, 23 अप्रैल 2013

वासना पर विजय




   मुझे इस बातका अचरज नहीं लगता की लोगोंको कामवासना पर विजय नहीं मिलता . लेकिन अच्छाई भी तो कोई बात है . बलात्कारीयोंकी, भ्रष्टाचारीयोंकि और सफेदपोश गुनहगारोंकी संख्या इतनी क्यूँ बढ़ रही है यह मेरे समझमें नहीं आता . 


   अगर आप अच्छे हो तो मेरे साथ हाथ मिलाओ . आओ, हम देखें की बुरे लोग ज्यादा है या अच्छे लोग ज्यादा हैं . आओ, हम शपथ लें की हम कामवासना, भोगलालसा, भ्रष्टाचार आदि गुनाहोंपर विजय प्राप्त करेंगे . अगर हम खुद सुधारते हैं तो यह बात पक्की है की हम एक दिन गुणोंसे और संख्यासे इतने बढ़ेंगे की सारी दुनिया तो नहीं पर बहुत सारी दुनिया अच्छाई की राह पर चलेगी . 

   हमारा धर्म, पंथ या संप्रदाय इस बात के आड़े नहीं आयेगा क्यूँ की सारेही धर्म, पंथ और संप्रदाय नैतिकता पर जोर देते हैं . इसलिए हम एक होकर, कंधेसे कंधा मिलाकर, हाथ हाथोंमें लेकर, एकजुट होकर काम कर सकते हैं . 

   आओ, हम हमारे बच्चोंके सामने ऊँचा आदर्श प्रस्थापित करें ताकि यह भारत देश ही नहीं बल्कि सारी दुनियामें खुशियाँ फैले . समझ लो की हम अगर एक होकर रास्तेपर आकर नारे ही लगाएं तो बलात्कारीयोंका दिल दहल सकता है, भ्रष्ट सत्ताधारीयोंके और सफेदपोश गुनाहगारोंके आसन डोल सकते हैं . याद रखो की हमारी एकता और हमारा सत्चरित्र ही हमारी शक्ति है .     

* वहशी दरिंदोंको फाँसी दो *    

ॐ अल्लाह ॐ गॉड ॐ राम ॐ 

बुधवार, 3 अप्रैल 2013

अरे गोविंदा



तू और मैं एकही 
है ना रे गोविंदा 

मैं ब्रह्म तू भी ब्रह्म 
है ना रे गोविंदा 

तुझसे जुदाई मैं 
ना सहूँ गोविंदा 

अब तो एकरस हम 
हो जाएँ गोविंदा 

किसलिये यह झूठा 
द्वैत रे गोविंदा 

नहीं मानता मैं 
माया रे गोविंदा 

वरना यह भक्ति भी 
ना चाहूँ गोविंदा 

मैं ही भगवान हूँ 
सही है ना गोविंदा 

तेरे बगैर और कुछ 
क्या काम का गोविंदा 

जिद यह मेरी मान ले 
मेरा तू गोविंदा 

ॐ 
हम सब एक हैं 
ॐ