मंगलवार, 2 जुलाई 2013

दैवी सुखकी ओर


ॐ 
आओ, हम प्रण करें की हम राम, कृष्ण, शिव, महावीर, बुद्ध जैसे बनें .काम, क्रोध, लोभ, मोह, आदि विकारोंपर विजय पाना कठिन तो है पर सद्गुरु की कृपासे असंभव नहीं है .अगर हम ठान लें तो हम भ्रष्टाचार, बलात्कार जैसे गुनाह करनेसे बच सकते हैं .मैं स्त्रियोंको भी आवाहन करता हूँ की वे अपने पतियोंको और पुत्रोंको ऐसे घिनौने अपराध करने को उद्दयुक्त ना करें .स्त्रियोंको पैसोंका, गहनोंका तथा बड़प्पन दिखानेका चाव होता है और वो इसके लिए अपने घरके पुरुषोंको भड़काती हैं .बाकी जो अश्लील साहित्य होता है उनमें भी स्त्रियोंकी साझेदारी बराबर की होती है .हम अगर इन विषयोंके जालमें ना फँसे तो इस पूरी धरतीपर मनुष्य का वर्त्तमान और भविष्य उज्ज्वल हो सकता है .

तो आओ, हम दुखोंकी, शोककी और पतन की राह छोड़कर दैवी सुखकी ओर अग्रेसर हो .
ॐ