सोमवार, 5 जून 2023

ब्रह्मानंद

ब्रह्मानंद क्यूँ होता है ?
किसीको अगर यह पता चले कि वह अनादि कालसे जीवित था और अनंत कालतक जीवित रहेगा.वह हमेशा था, है और रहेगा तो यह बात सुनकर उसे जो खुशी मिलेगी वह है ब्रह्मानंद.
जब किसीको पता चलता है कि वह सबकुछ है तो उसे न कुछ पानेकी चाहत रहेगी, न कुछ खोनेका डर रहेगा. उसे पता चलेगा कि वह हमेशाके लिये संपूर्ण था, है और रहेगा. तो उसे जो खुशी मिलेगी वह है ब्रह्मानंद.
तो यह बात तुमने जान ली है कि वह तुम ही हो और यह कोई भी झुठला नहीं सकता क्योंकि यही परमसत्य है.
तुम जैसे भी हो, तुम परब्रह्म परमात्मा हो. इस सच्चाईको कोई भी झुठला नहीं सकता. तुम हमेशा के लिये परब्रह्म परमात्मा थे, हो और रहोगे. इस सत्यको तुम खुदभी नकार नहीं सकते. तुम सच्चिदानंद हो. तुम सर्वव्यापी, शांत और साक्षात आनंद हो.
स्पर्श, गंध, दृश्य, ध्वनि, स्वाद, मन,बुद्धि, इनसे दूर हटो. आँखें मूँद लो. इस परमविश्राम की अवस्थामें अब खुदको महसूस करो.तुम जो भी हो, यह जान लो कि तुम शरीर नहीं बल्कि सर्वव्यापी अस्तित्व हो जो बचपनमें, जवानीमें और बुढापेमें भी बदलता नहीं. तुम जन्म, मृत्यु और उम्रके परे हो. तुम स्थान और समय की सीमाओंसे परे हो.तुम हमेशा वोही हो, शांत और आनंदमयी, अविचल. तुम कभीभी नहीं बदलते. इस सत्य को हर कोई अनुभव कर सकता है. जो सुख विठ्ठलजीके श्रीमुखपर दिखाई देता है, वोही सुख तुम अपने भीतर पाओगे. सुखका सुख है यह श्रीहरिका मुख
सुखाचें हे सुख श्रीहरी मुख ।
पाहतांही भूक तहान गेली ॥१॥
भेटली भेटली विठाई माऊली ।
वासना निवाली जिवांतील ॥२॥
चंद्रासी चकोर मेघासी मयूर ।
वाटे तैसा भर आनंदाचा ॥३॥
नामा म्हणे पाप आणि ताप दुःख गेले ।
जाहलें हें सुख बोलवेना ॥४॥
हरि ॐ तत्सत्

शनिवार, 25 फ़रवरी 2023

गंतव्य

हमने जीवन का गंतव्य प्राप्त किया है या नहीं यह किस प्रकार जान सकते हैं ?
मैं मेरे जीवनमें कई तरह के उल्टे सीधे अनुभवोंसे गुजरता रहता हूँ जिन्हें मैं ईश्वरेच्छा समझता हूँ, जिसमें मेरा कोई योगदान नहीं होता, न तो मैं इससे कुछ प्राप्त करता हूँ. मैं इसे सिर्फ कालयापन समझता हूँ, बस, वक्त गुजर रहा है, भौतिक अर्थसे. सत्य तो यही है कि समयका कोई वजूद नहीं, न मैं खुद कुछ करता हूँ, ना ही ऐसी कोई बात है जो मुझपर कार्य कर सकती है. यही सत्य है. फिर सगुण, साकार ईश्वर कौन है ? नियती क्या है ?  भौतिक दृष्टिसे तो इनका वजूद है. लेकिन आध्यात्मिक {अद्वैतकी} दृष्टिसे सच तो यही है की बस एक निराकार सर्वव्यापी आस्तित्व है जो शून्य के समान है. ना तो उसकी कोई इच्छा है, ना ही कोई नियति है, न पाप पुण्य है, ना ही कर्म है, ना कर्मफल है.
सुखदुखसे परे एक शांत, अविचल, अकारण आनंद है. वह मैं हूँ. सोहं.
श्रीकृष्ण जयंती
श्री ज्ञानेश्वर जयंती
हरि ॐ तत्सत्

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

मौला

तेरी याद आयी मौला
तेरा जिक्र मैं करूँ अब
तुझे देखने को तरसूँ
कर लूँ तेरी ज़ियारत

सबकुछ है तू खुदाया
देखूँ मैं सिर्फ तुझको
फेरूँ जिधर नजर मैं
तुझे देखने की हसरत

दुनिया नहीं है दिखती
बोझिल हुई हैं पलकें
तेरा करम है मालिक
ऊँची है तेरी अज़मत

समाधी हरिची समसुखेवीण |
न साधेल जाण द्वैतबुध्दी ||
बुध्दीचे वैभव अन्य नाही दुजे |
एका केशवराजे सकळ सिध्दी ||
हरि जय जय राम
राम कृष्ण हरि
ॐ नमः शिवाय
ॐ हरये परमात्मने नमः
अल्हम्दुलिल्लाह
हरि ॐ तत्सत्

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2023

खल्क

कभी मिलते भी नहीं, दिलमें कुछ खयाल नहीं
हम तुम्हारे हैं, हमारी जरा परवाह नहीं
खुदाया, कदमोंमें गिर गिरके सजदा करते हैं
तुम्हारे वास्ते कुर्बान जान करते हैं
जरासी फिक्र हमारी भी अब करो मौला
ऐसे भी कोई खफा किसीपे होते हैं भला
हम हैं जर्रा तुम आफताब हो परवरदिगार
तुम्हारे सामने हम हो चुके हैं शर्मसार
बनाओ बिगड़ी अब, अपना बना लो ऐ मालिक
तौबा करते हैं गुनाहोंसे हमारे खालिक
दिलमें रंजिश न रखो, खलिश न महसूस करो
खाक हम नहीं है, बस खल्क है कुछ गौर करो
|| कृष्णार्पण ||
खंडेराया मल्हारीमार्तंडा
कडेपठारच्या राजा
येळकोट येळकोट
जय मल्हार
देवा तू माझा व मी तुझा
हरि ॐ तत्सत्
नाताळ
वो जो मुझमें समाया
वो जो तुझमें समाया
मौला वही-वही माया
कुन फायाकुन…
सृष्टिकर्ता ईश प्यारे
एक हो तुम एक हो

बुत

पाने चला था मैं बुतमें इस खुदाको
बुत तो नहीं मिला , मुझे खुदा मिल गया
बुतखानेमें भीड थी गुजारिश करनेवालोंकी
लौट आया मैं, मुझे सबकुछ मिल गया
क्या करूँ अहले जहाँ, चाहत है इस दिलमें
चाहता था खुदाको, सारा जहाँ मिल गया
अब तो ऐसा आलम है, जिधर नजर जाती है
वहींपर मैं कहता हूँ, देखो खुदा मिल गया
ना जाने ऐसे क्यूँ दूरीयाँ बनाते हैं लोग
दीवारें गिरा दी और दिल मिल गया
अपनाओ सबको यारों, हम सभी तुम्हारे हैं
फिर बोलोगे कि सचमेंही खुदा मिल गया
ऐलान करता हूँ मैं खुदाके ऐ प्यारों
प्यारसेही तो मुझे यह खुदा मिल गया
और कोई जुबान मैं समझताही नहीं हूँ
बेइन्तहा प्यारको सबका प्यार मिल गया
सारा जहाँ हमारा, सबमें इसका विसाल है
कैसे छुपाओगे इसे, सबमें खुदा मिल गया
श्री रूक्मिणीपांडुरंग प्रसन्न
ॐ साईगुरवे नमः
।। सबका मालिक एक।।
खंडेराया मल्हारीमार्तंडा
कडेपठारच्या राजा
येळकोट येळकोट
जय मल्हार
सदानंदाचे चांगभले
आईराजा उदो उदो
देवा तू माझा व मी तुझा
सलाम सलाम सलाम
अल्हम्दुलिल्लाह
हरि ॐ तत्सत्
श्री गजानन महाराज प्रकटदिन

बुधवार, 22 फ़रवरी 2023

सुहानी जिंदगी

ना मुझे बिजलीकी जरूरत है, ना टीव्हीकी ना मोबाईलकी ना पंखेकी ना फ्रिजकी.ना हमारे घरमें गैसका सिलेंडर है ना सूखी लकड़ीकी कमी है. मिट्टीके तेलका दिया है जो कभीकभार टिमटिमाता है. क्यों कि सूरज उगनेके साथ हम जगते हैं और सूरज डूबनेके साथ हम सो जाते हैं.दीवारें और जमीनकी गोबरसे लीपापोती होती है और छतके नामपर घासफूस डाली है. हमारे घरके आँगनमें गऊ, मुर्गीयाँ और कुछ कुत्ते हैं जो अपने आपमें मशगूल रहते हैं. मैं दिनमें दो बार जवारकी रोटी गुडके साथ दूधमें मसलके खाता हूँ और मेरे पास दो जोडी कपासकी खाकी चड्ढी और सफेद कमीज है जो मैं हमेशा पहनता हूँ. मैं बडेसे आँगनमें ऊँचे और घने पेड़की छाँवमें दिनभर मिट्टीमें खेलता हूँ और रातमें वहींपर चैनकी नींद सोता हूँ. दोपहरमें नहरकी रेतमेंसे रंगबिरंगे चमकीले चकमक पत्थर इकट्ठा करता हूँ. मैं हरहमेश बहुत ज्यादा खुश रहता हूँ क्यों कि जिंदगीमें किसीभी बातकी कमी नामकी कोई चीजही नहीं है. मैं कहाँ रहता हूँ यह तो मेरे खयालोंमेंभी नहीं है बस जिंदगी बहुत सुहानी है.

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2023

आज्ञा


मेरे लाडले बच्चों, मैं शिवाजी बोल रहा हूँ. वर्तमान परिदृश्यमें, भारतकी भौतिक उन्नतिको कोईभी रोक नहीं सकता. इससे
हासिल तो कुछ होगा नहीं, ना तो इसकी कोई आवश्यकता भी है. बस महादेवी माता आदिशक्तिकी इच्छा है तो यह उथलपुथल चल रही है. बाकी भगवान भोलेनाथ तो हर स्थितिमें संतुष्ट रहते हैं. चाहे ऐसा हो या वैसा उन्हें कुछ फर्कही नहीं पडता.
सबका साथ, सबका विकास.
सौगंध खाओ.
हम सभी के सभी सिर्फ भारतीय हैं.
इन्सानियत ही हम सबका परमधर्म है
यह बात गाँठ बाँध लो कि हम सब एक हैं. याद रखें कि जबतक हम जातिके या धर्मके या भाषाके  नामपर टुकड़े बनकर जिएंगे तबतक हमारा अनिष्ट कभी खत्म नहीं हो सकता. समझ लो कि हम जातिके नामपर टुकड़ोंमें बँटे हुवे थे इसलिए ८५० साल गुलामीमें रहे. ना सभीको पढने लिखनेका हक था ना लडनेका. हमारा बहुत सारा talent उपयोगमेंही नहीं आया. अब हम धर्मके नामपर अपनेही लोगोंको दूर धकेल रहें हैं. यह बात खतरेसे खाली नहीं है. जो भूल हम सदियोंसे करते आ रहे हैं वही अब दुबारा अलग तरीकेसे दोहरा रहे हैं. यह पत्थरपर खिंची लकीर है कि जबतक हम पूरी तरह एक नहीं हो जाते तबतक भारतका और विश्वका भी सही मायनोंमें उद्धार नहीं हो सकता. अपने प्यारे भारतपर प्रेम करो. सच्चे भारतीय बनो. एक बनो. और समूचे विश्वमें प्यारका, शांतिका, अपनत्वका पैगाम भेजो.नफरत नहीं, प्यार बाँटो. अनिष्टको अभीष्टमें बदल डालो. यही परमपिताका आदेश. समझो और पालन करो.
गुरुरित्याख्यया लोके साक्षाद्विद्याहि शांकरी |
जयत्याज्ञानमस्तस्यै दयार्द्रायै निरंतरम् ||
- श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज
माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वरः ।
बान्धवाः शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम् ॥
- श्री शङ्कराचार्य कृतं
अल्लाह, GOD, शिव, सब एकही है. वसुधैव कुटंबकम्
जय भोलेनाथ
जय माँ आदिशक्ति
खंडेराया मल्हारीमार्तंडा
कडेपठारच्या राजा
येळकोट येळकोट
जय मल्हार
सदानंदाचे चांगभले
आईराजा उदो उदो
देवा तू माझा व मी तुझा
हरि ॐ तत्सत्
छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती