गुरुवार, 29 अक्तूबर 2009

Ae maalik tere bande hum



अहं
निर्विकल्पो निराकाररुपो
विभुर्व्याप्य सर्वत्र सर्वेंद्रियाणाम्
सदा मे समत्वं मुक्तिर्न बन्ध:
चिदानंदरूप: शिवोऽम् शिवोऽम्

बुधवार, 14 अक्तूबर 2009

अंजाम



अल्लाहका जो साथ पाया
पाना बाकी क्या रहा
मैं जहाँभी जाऊँ मुझको

एक अल्लाहही मिले


भर गयी यूँ मेरी झोली
कभी ना हो जाए खाली
पाने खोने की ये बातें
हो गयी है खोखली


पत्थरमें है कागजमें है
हर जगह उसका बसर
बंदगीसे बाज आऊँ
मुमकीन नहीं मेरे लिये


इंशा अल्लाह काफी नहीं
यह बयानसेभी परे है
की क्या ना मेरे साथ है
मैं खुदासे जुदा नहीं


अरमानोंका क्या कहूँ
पुरेही होके आते हैं
प्यार यूँ छलकता है
आँखें ना मुंदी जाती हैं


जिक्र उन बातोंका क्या
जो जिस्मकी है जरूरतें
उनसे उंचा और है
जो खुदा अंजाम दे


यार ये छुपती नहीं जो
रोशनी उस लौ की है
हर तरफ फैला उजाला
और कुछ बचा नहीं


की यह जो दुनिया फानी है
सब खुदा की निशानी है
उसके सीवा अब और कुछ
आता नहीं नजर मुझे


मायूस ना दिलको करो
यूँ आना जाना रहता है
गौर उस रबपर करो
हासील जो हमेशा है


अमनकी जन्नत मिलेगी
सबमें रबको पाओगे
यह नहीं झूठी कहानी
प्यार देके प्यार लो