प्यार की बहुत जरुरत है
वासनाको समाप्त करो
रिश्ता जोडो इंसानियतसे
दरिंदगीको समाप्त करो
अपराध कबतक पनपता रहे
कुसंस्कारोंको समाप्त करो
गन्दी फ़िल्में कुचल डालो
अश्लीलता समाप्त करो
सांस्कृतिक आक्रमण रोक दो
आलस्यको समाप्त करो
मैत्री करुणा चाहिए हमें
अश्लीलता समाप्त करो
सांस्कृतिक आक्रमण रोक दो
आलस्यको समाप्त करो
मैत्री करुणा चाहिए हमें
वैरभावको समाप्त करो
अहिंसाको अपनाओ यारों
हिंसाको समाप्त करो
दिलमें दर्द उठा है प्यारों
हिंस्त्रताको समाप्त करो
बुरे कर्मका फलभी बुरा है
अज्ञानको समाप्त करो
बुराईका डटकर सामना करो
कायरताको समाप्त करो
बुरे कर्मका फलभी बुरा है
अज्ञानको समाप्त करो
कायरताको समाप्त करो
ॐ
अभयं सत्वसंशुद्धिर्ज्ञानयोगव्यवस्थिति:
दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्
अहिंसा सत्यमक्रोधस्त्याग: शान्तिरपैशुनम्
दया भूतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं ह्रीरचापलम्
तेज: क्षमा धृति: शौचमद्रोहो नातिमानिता
भवन्ति संपदं दैवीमभिजातस्य भारत
ॐ
दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्
अहिंसा सत्यमक्रोधस्त्याग: शान्तिरपैशुनम्
दया भूतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं ह्रीरचापलम्
तेज: क्षमा धृति: शौचमद्रोहो नातिमानिता
भवन्ति संपदं दैवीमभिजातस्य भारत
ॐ
भगवान अर्जुनसे कहते है -
भयका सर्वथा अभाव, अंत:करणकी पूर्ण निर्मलता,तत्वज्ञानकेलिये ध्यानयोगमें निरंतर दृढ़ स्थिति, दान, इन्द्रियोंका दमन उत्तम कर्मोंका आचरण, अध्यात्मिक पठन-पाठन, भगवानके नाम एवं गुणोंका कीर्तन, स्वधर्मपालनके लिये कष्ट सहना, शरीर तथा इन्द्रियोंके सहित अंत:करणकी सरलता, किसीभी प्रकारसे किसीको कष्ट न देना, यथार्थ और प्रिय भाषण, अपना अपकार करनेवालोंपर भी क्रोधका न होना, कर्मोंमें कर्तापनके अभिमानका त्याग, चित्तकी चंचलताका अभाव, किसीकी निंदा न करना, सब भुताप्राणियोंमें हेतुरहित दया, आसक्तिका न होना, तेज, क्षमा, धैर्य, शुद्धि, किसीमें भी शत्रुभावका न होना, अपनेमें पूज्यताके अभिमानका अभाव - ये सब दैवी सम्पदाको लेकर उत्पन्न हुए पुरुषके लक्षण है
ॐ