मैं अनंतकोटी ब्रह्माण्डनायक हूँ
मैं अज, अव्यय, अविनाशी हूँ
मैं केवल यह शरीरमात्र नहीं
मैं उससे बृहत् हूँ
मैं परब्रह्म हूँ
मैं भगवान हूँ
मैं सर्वव्यापी परब्रह्मवस्तु हूँ
मैं इस शरीरके अन्दर, शरीरपर
और शरीरके बाहरभी हूँ
मैं परमात्मा हूँ
जैसे कपडे में तंतुके सिवाय
कुछ भी नहीं होता
वैसेही दुनियामें
एक परब्रह्मके सिवाय कुछ भी नहीं
कुछ भी नहीं होता
वैसेही दुनियामें
एक परब्रह्मके सिवाय कुछ भी नहीं
और मटकीके अन्दर का आकाश
बाहर के आकाश का
हमेशा जुडा हुआ अंश होता है
वैसेही आत्मा और परमात्मा
हमेशा एक होते हैं
शरीर और आत्माका
परमात्मासे अलग
कोई वजूद नहीं होता
जैसे तोता पिंजरेके अन्दर
लटकी हुई नालिकाको
पकड़कर सोचता है
की मैं बंधा हुआ हूँ
वैसेही जीवात्मा गलत सोचता है
की मैं मुक्त परमात्मा नहीं हूँ,
मैं शरीरमें बंधा हुआ हूँ
खुदमें परमात्माको पाओ
और हमेशा शांत एवं संतुष्ट रहो
ॐ
बाहर के आकाश का
हमेशा जुडा हुआ अंश होता है
वैसेही आत्मा और परमात्मा
हमेशा एक होते हैं
शरीर और आत्माका
परमात्मासे अलग
कोई वजूद नहीं होता
जैसे तोता पिंजरेके अन्दर
लटकी हुई नालिकाको
पकड़कर सोचता है
की मैं बंधा हुआ हूँ
वैसेही जीवात्मा गलत सोचता है
की मैं मुक्त परमात्मा नहीं हूँ,
मैं शरीरमें बंधा हुआ हूँ
खुदमें परमात्माको पाओ
और हमेशा शांत एवं संतुष्ट रहो
ॐ
जय जय राम कृष्ण हरि
जय जय राम
हरि जय जय राम
हरि जय जय राम
राम कृष्ण हरि जय जय राम
जय जय राम
हरि जय जय राम
हरि जय जय राम
राम कृष्ण हरि जय जय राम
ॐ
सोऽहं
ॐ
ॐ