हमारा कर्म ऐसा यज्ञ है
जिसमें यज्ञ करनेवाला भगवान है
यज्ञके साधन अर्थात् चम्मच आदी भगवान है..
यज्ञमें डाली जानेवाली आहुती भगवान है .
अग्नी भगवान है .
यज्ञवेदी भगवान है.
यज्ञका हेतु भगवान है ,
यज्ञका फलभी भगवान है .
सब कुछ भगवान है .
ऐसा यह भगवद्स्वरूप यज्ञकर्म
अनादि ,अनंत , अकारण है .
भगवान आनंद है , शांति है
ॐ शांति: शांति: शांति:
ॐ आनंद आनंद आनंद