गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

खफा




न जाने क्यों खफा हो
खुदके गुस्सेपे तुम फिदा हो
कभी थे ही नहीं तुम मेरे
इस तरहसे अब तुम जुदा हो 

मुझसे क्यों दूर हुए ऐसे
यह अलगाव काहेका
प्यार तो तुमनेभी किया है
अब भेष यह क्यों निर्मोहीका

मैं तो सिर्फ तुम्हाराही 
हूँ ना ऐ खुदाया
फिर यह जुदाईका 
खेल क्यों रचाया

तुम्हारा इरादा तो
तुमही जानते हो
मुझे क्यों बेवजह
बेहाल बनाते हो

फिर भी खुदा तुम्हारा मैं
दामन न छोडूंगा
तुम्हारे सिवा लबपे कोई
नाम नहीं लूँगा
विष्णुमय जग वैष्णवांचा धर्म । भेदाभेदभ्रम अमंगळ ॥१॥
अल्लाह कहाँ नहीं यह बताओ