गुरुवार, 18 मार्च 2010

शान



तेरी धुनमें मस्त मैं
आवारासा घूमता हूँ
राहमें फूल बिखरते हैं
यह तेरी रहमत है

मैं राज़ जानता हूँ
कोई थूकता है तो
अंदाज-ए-बयाँ उल्टा है
बात फिर भी एक है

तेरी शान है खुदा
काँटोंमें भी प्यार है
फूल तो वो है नहीं
जज्बा मगर एक है

सारी करगुजारीयोंमें
तेरी मुस्कान छुपी है
तुही सबमें बसा हुआ
मेरी दखल लेता है

मिठास बढ़ती जाती है
जिंदगी खुशनुमा होती है
जहाँ जाता हूँ वहाँ
एक तू ही दिखता है