ALL PATHS MEET AND END AT TRUTH. UNITY UNDERNEATH DIVERSITY. DISCOVER YOUR DIVINE SELF.EXPLORE ENLIGHTENMENT. PEACE AND HAPPINESS FOR ALL.सबका मालिक एक सोऽहं.
शुक्रवार, 30 मार्च 2012
रविवार, 4 मार्च 2012
सरगम
प्यारकी जगह प्यार रखो
टुकसा जबाब मत माँगो
परिन्दोंके पर मत काटो
उनकोभी आसमान देखने दो
बातें तो बहुत कर ली है आपने
चाहतोंको भी बोलने दो
क्या मिलेगा बेजान लफ्जोंसे
हमें अपनी जुबानी कहने दो
अब नहीं ढाढस बचा है कुछ भी
टूट चुकी है दीवारें दिल की
बहता है प्यार बहने दो
प्यारकी सरगम गाने दो
नफ़रत की तो बातही ना थी
यह आलमभी रंगीन ना था
बल्कि यह रूहोंका मीलनही था
जज्बातोंको उजागर होने दो
हम उनको माफ़ नहीं करते
ना उनसे माफ़ी चाहते है
लेन देन ही होता नहीं है कुछ
तो हिसाब करना क्या बाकी है
राम और रहमान एक हुवे है
दुवा करो सब मिलके
खुशियोंके लड्डू बाँटेंगे
साथ सभी हम मिलके
श्रीसाईचरणार्पणमस्तु
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