गुरुवार, 18 अक्तूबर 2012

शक्तिपूजन


माँ भगवती शक्ती 
पंडालोंमें और घरोंमें विराजमान हो गयी है। 
वो सर्वव्यापिनी हमारे तन मन में भी है। 
उस दैवी शक्तीका आवाहन करें। 
आओ प्रण करें की हम 
ब्रह्मचर्यका पालन करेंगे। 
भ्रष्टाचार नहीं करेंगे। 
      नशापानी नहीं करेंगे।       
सामिष आहार नहीं लेंगे।
ये सब बातें आचरणमें लाना 
बहुत कठिन है। 
आपके अंतरसे, घरसे, बाहरसे
पुरे समाजसे इसका विरोध होगा।    
ये बातें व्यवहार्य नहीं
 ऐसा कहा जाएगा। 
ये सिर्फ कहने सुननेकी बातें है;
इनपर अमल नहीं करना चाहिए,
ऐसा आपको बताया जाएगा।
 लेकिन अगर आप इन बातोंपर डटे रहे तो 
अंतत: यही बातें 
आपको इतना बल देगी की 
आपको अपने अन्दर 
दैवी शक्तिका अनुभव होगा। 
जो मृन्मयी शक्ति आप 
सामने देख रहे हो 
वोही आपके अंतरमन में 
भ्रष्टाचार रूपी, वासना रूपी, लालच रूपी 
असुरोंका अंत करती हुई 
महसूस होगी। 
   उस चिन्मयी शक्तिका 
संयम सामग्रीसे पूजन करो।
दृढ़ निश्चयी बनो।
हो सकता है की आपकी 
कभी कभार हार हो।
उसके बावजूद भी अगली जित का 
इंतज़ार करो।
खुदको बुलंद करो 
खुदाको अपने अन्दर बसा हुवा पाओ। 
ॐ 
दशहरेकी  
हार्दिक शुभकामनाएँ 
ॐ