ALL PATHS MEET AND END AT TRUTH. UNITY UNDERNEATH DIVERSITY. DISCOVER YOUR DIVINE SELF.EXPLORE ENLIGHTENMENT. PEACE AND HAPPINESS FOR ALL.सबका मालिक एक सोऽहं.
शनिवार, 12 दिसंबर 2015
शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015
मंगलवार, 17 नवंबर 2015
दिपावली
एक नित्य सर्वव्यापी भगवानही शाश्वत
त्रिकालाबाधित सत्य है.
इस एक भगवानके अधिष्ठानपर यह अनित्य
संसार भासमान होता है.
अनेक भिन्न भिन्न धर्म , जातियाँ, रंग, रूप आदि
तरह तरह की भिन्नतासे भरपूर यह संसार वाकईमें
भासमात्र है क्यों कि सच तो हमारा एकत्व है जो
नित्य, अनादि और अनंत है.
इस एकत्वके ग्यानसे आपका जीवन जगमगा उठे.
शुभ दिपावली.
शुक्रवार, 28 अगस्त 2015
ध्यान
अद्वैत सिद्धांत का मनन करते हुए सुखासन में शांत बैठो। सोचना बंद करो और शान्तिका अनुभव करो। शरीरकी कोई हलचल ना हो। पूरी शान्ति और आराम के साथ ध्यान हो। धीरे धीरे पलकें मूँद लो।आज्ञा चक्र या सहस्त्रारपर बिना किसी जोर जबरदस्तीके लक्ष्य केंद्रित करो। भगवन्नामका मनही मनमें गुंजन करो। अन्य कोई कर्तव्य नहीं बचा है यह बात समझो। शान्ति शान्ति शान्ति । आनंद आनंद आनंद । राम राम राम ।
ॐ राम कृष्ण हरी ॐ
गुरुवार, 11 जून 2015
कर्म
एक आदमी रास्तेसे जा रहा है। सब कुछ भगवान होनेकी वजहसे वह आदमी भगवान है , रास्ता भगवान है , वह आदमी जिधरसे आया वह जगह भगवान है , वह आदमी जिधर जा रहा है वह जगह भी भगवान है , वह आदमी के चलने की क्रिया भी भगवान है। भगवान सर्वव्यापी होनेकी वजह से ऐसा होता है। सब कुछ एक ही होनेकी वजहसे कहीं आना जाना नहीं होता और कुछ लेना देना नहीं होता। नित्य शान्ति और आनंद ही होता है।
तब अर्जुन भगवान से पूछता है कि हे भगवान , जब सब कुछ ऐसाही है तो तू मुझे युद्ध जैसा घोर कर्म करनेको क्यूँ कह रहा है ?
तब भगवान कहते हैं कि हे अर्जुन, जब तक तेरा शरीर जीवित है तब तक कर्म होता ही रहेगा। साँसें चलती रहेगी , आँखें देखती रहेगी , तेरे सारे अवयव अपने अपने गुणानुसार अपना अपना काम करते ही रहेंगे। इसलिए तू कर्म करनेको बाध्य है।
जब तू बृहन्नडा के भेसमें था और युध्द करना तेरे लिए आवश्यक नहीं था तब भी तूने विराट के राजकुमार को बचाने की खातिर युद्ध किया। तू अपने गुणोंके अनुसार कर्म करताही रहेगा। इसलिए यह जो युद्ध तेरे सामने आया है वह तू कर।
लेकिन कर्म तू कर रहा है ऐसा मत सोच और कर्म के फल की आस मत रख। हेतु रहित कर्म कर।
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