शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

किनारा



खोना कुछ नहीं है 
 पाना कुछ नहीं है 
सब जगह तूही है 
खुदा ढूंढना नहीं है 

अपार शांति है 
अपार आनंद है 
देनेवाले तेरी सौगंध 
माँगना कुछ नहीं है 

अनादि हम है 
अनंत हम है 
या रब तेरे प्यारका 
किनारा कोई नहीं है 

ॐ