शनिवार, 10 दिसंबर 2016

ईद मुबारक



दुनिया चाहती है ऐ खुदा 
कि मैं तेरा नाम भी ना लूँ मगर 
तू ही कह दे इस बेचैनी का 
सामना मैं करूँ कैसे 

कि मैंने इस दुनिया का 
साथ तो छोड़ दिया है अब 
तेरा दामन भी छोड़ दूँ 
तो जिऊँ कैसे 

कुछ काम करके नाम कमा लूँ 
यह तो मेरा रास्ता नहीं था कभी 
अब तेरे नाम का सहारा भी छोड़ दूँ 
तो ज़िंदा रहूँ कैसे 

***
इस आराम को क्या कहूँ 
जो तेरी पनाह में मिलता है 
इस सुकून को क्या कहूँ 
जो तेरे नाम में मिलता है 

तुझे छोड़ दूँ ऐ खुदा 
वह दिन कभी भी आये ना 
तेरे नाम में ना रमूं 
वह दिन कभी भी आये ना 

दुखोंसे भरी दुनिया यह 
कहती है के काम करो 
काम कितना आसान है
बात यह दुनिया जाने ना 

नाम में जीना खुशनुमा है 
काम की क्या औकात है 
मुश्कीलें चारों ओर घिरे 
फिर भी चैन की साँस है 


ईद मुबारक