God is our father . His nature is our mother .Both can never be separated from each other .They have unified single existence .Everywhere God is present along with his nature . we are also part of & belong to nature as well as god .
Nature shows changes in appearance. It appears that every thing obeys the rule of rise , stay & fall in cyclic manner . God remains unchanged as in Toto there do not occur any difference . The basic existence neither gets destroyed nor it can be created & it do not alter as well .
Hence we should not worry about the universe . It is selfsustained system . It balances itself against any type of disturbance . It is the law that , who tries to conquer god or his nature ; gets defeated .
So rely on nature & god . Prefer to sleep with peace in the lap of mother nature ,do not try to destroy or disturb her . do not try to conquer over her otherwise you will be punished for your offence by mother nature & god .
Coordination , understanding & peace are the keywords for bright future of our planet .
ALL PATHS MEET AND END AT TRUTH. UNITY UNDERNEATH DIVERSITY. DISCOVER YOUR DIVINE SELF.EXPLORE ENLIGHTENMENT. PEACE AND HAPPINESS FOR ALL.सबका मालिक एक सोऽहं.
गुरुवार, 18 अक्तूबर 2007
रविवार, 14 अक्तूबर 2007
देन
बात करनेसे बात ना बने है
प्यारसे उमंग बढायेंगे
बात करनेसे बात सिर्फ बढ़े
हमें तो दिलोंमें पहुंचना है
जुबाँने हमारा साथ छोड़ दिया
जारी रहे लेकिन वार्तालाप
चाँद बोलता है , झरना बोलता है
मुझे कुछ देना है सबको
अगर सारे अंधे हो भी जाये तो
चान्दनीकी वर्षा जारी रहेगी
पानीका बहाव जारीही रहेगा
जबतक ये झरना जिन्दा है
किसी प्यासेको हमारा पता
मिले ना मिले खुदाकी मर्जी
बरसातमें झरना उमडही पङता है
पुनममें चाँद खिलही उठता है
यहतो खुदाकी देन है प्यारों
बंदोंपर असर पडे ना पडे
प्यारसे उमंग बढायेंगे
बात करनेसे बात सिर्फ बढ़े
हमें तो दिलोंमें पहुंचना है
जुबाँने हमारा साथ छोड़ दिया
जारी रहे लेकिन वार्तालाप
चाँद बोलता है , झरना बोलता है
मुझे कुछ देना है सबको
अगर सारे अंधे हो भी जाये तो
चान्दनीकी वर्षा जारी रहेगी
पानीका बहाव जारीही रहेगा
जबतक ये झरना जिन्दा है
किसी प्यासेको हमारा पता
मिले ना मिले खुदाकी मर्जी
बरसातमें झरना उमडही पङता है
पुनममें चाँद खिलही उठता है
यहतो खुदाकी देन है प्यारों
बंदोंपर असर पडे ना पडे
चाहत
साँईनाथ जय बोलो रे
भेदके घूँघट खोलो रे
दिलकी नजरसे देखो रे
सभी जगह भगवान
तेरा मेरा क्या करते हो
सबका एकसमान
बहुत दिया दाताने तुमको
क्या क्या कबतक माँगोगे
सुनी कभी उसकी ये पुकार
चाहता तुमसे प्यार दुलार
आसपास जो बैठा है
देते हो उसको धुत्कार
अपने आँसू पोंछो अब
सामने साँई देखो अब
जो बैठा चाहतका प्यासा
हर दिलमें बैठा इक बच्चा
वोही साँई है , वोही कृष्ण है ,
अल्लाह , गॉड़ , सबकुछ है वो
उसकी मन्नत पुरी कर दो
भेदके घूँघट खोलो रे
दिलकी नजरसे देखो रे
सभी जगह भगवान
तेरा मेरा क्या करते हो
सबका एकसमान
बहुत दिया दाताने तुमको
क्या क्या कबतक माँगोगे
सुनी कभी उसकी ये पुकार
चाहता तुमसे प्यार दुलार
आसपास जो बैठा है
देते हो उसको धुत्कार
अपने आँसू पोंछो अब
सामने साँई देखो अब
जो बैठा चाहतका प्यासा
हर दिलमें बैठा इक बच्चा
वोही साँई है , वोही कृष्ण है ,
अल्लाह , गॉड़ , सबकुछ है वो
उसकी मन्नत पुरी कर दो
सदस्यता लें
संदेश (Atom)