रविवार, 14 अक्तूबर 2007

चाहत

साँईनाथ जय बोलो रे
भेदके घूँघट खोलो रे
दिलकी नजरसे देखो रे
सभी जगह भगवान
तेरा मेरा क्या करते हो
सबका एकसमान

बहुत दिया दाताने तुमको
क्या क्या कबतक माँगोगे
सुनी कभी उसकी ये पुकार
चाहता तुमसे प्यार दुलार
आसपास जो बैठा है
देते हो उसको धुत्कार

अपने आँसू पोंछो अब
सामने साँई देखो अब
जो बैठा चाहतका प्यासा
हर दिलमें बैठा इक बच्चा
वोही साँई है , वोही कृष्ण है ,
अल्लाह , गॉड़ , सबकुछ है वो
उसकी मन्नत पुरी कर दो