सोमवार, 1 दिसंबर 2008

तरंग

//दुरिताचे तिमिर जावो / विश्व स्वधर्मसुर्ये पाहो //


तरंगके जन्म लेनेसे पानी जन्म नहीं लेता
तरंगकी मौतसे पानीकी मौत नहीं होती
समुन्दरपे तरंग बनते मिटते रहते हैं
लेकिन पानी पूरा का पूरा समुन्दर बना रहता है

साथियों , हमारे देह बनते मिटते रहते हैं
सृष्टिमें आवागमन चलता रहता हैं
पर इस सृष्टिरूप समुन्दरका
पानी कभी ख़त्म नहीं होता

ये पानी जो मूलतत्व भगवान है
वो हमसे और हम उनसे जुदा नहीं होते
चाहे हम तरंग बने या समुन्दरमे मिल जायें
हम सभी सदा भगवानहि हैं

हमारे इस सत्य स्वरूपको हम झुठला नहीं सकते
हमारे स्वरूपसे हम भाग नहीं सकते
तो क्यों न हम सबको अपना जानकर
भाईचारा बनाए रखें