रविवार, 30 नवंबर 2008

राम है बाकी

//दुरिताचे तिमिर जावो / विश्व स्वधर्मसुर्ये पाहो //


राम बुद्धिका दाता मन रे
राम बुद्धिका दाता
जब हम उसके हो जाए तो
हमको क्या कम पङता
उसकी कृपा अनमोल रतन है
हर ले सभी कृपणता
क्या आया क्या गया कहाँ
हमको क्या फर्क है पङता
हम न रहे अब राम है बाकी
राम है चेतन जड़ता
हम ही नहीं संकल्प कहाँ हो
राम है चलता फिरता
उसकी मर्जी वो अब सोचे
वोही है लिखता पढ़ता