बुधवार, 19 अगस्त 2009

सांईशरण

हे जगवंदन सांईरुपधर
भगवन हमपर कृपा करें
तुम्हारे चरणोंकी धूलि लेकर
हम अपना माथा विमल करें

मिले न गर जो यहाँ आसरा
और भटकते कहाँ फिरें
शरणमें ले लो हमारे सांई
तुम्हारा दामन हम है धरें

हमें है मंजूर तुम जो दोगे
पर अब न जायेंगे हम यहांसे
हमारे सर आंखों पर है आज्ञा
हुकुम हमें अब तुम जो करें

और तमन्ना रही न दिलमें
हो कुछ तो सेवा तुम्हारी सांई
तुम्हारी ताकत तुम्हारी मर्जी
तुम्ही जो चाहो वो हम करें

समझमें आया हमें अब इतना
नहीं समझता कुछभी हमें
वोही है अच्छा जो तुमने सोचा
हमारी जिदसे न कुछ करें

हे जगवंदन सांईरुपधर
भगवन हमपर कृपा करें
तुम्हारे चरणोंकी धूलि लेकर
हम अपना माथा विमल करें