रविवार, 6 सितंबर 2009

अल्लाह



भरोसा करो ।
सवाल क्यूँ करते हो ?
सवाल कबतक करोगे ?
सारे सवालोंकी बेकरारी
मुझतक आकर थम जाती है ।
जिस बेहद सुकूँ को पाकर
दिलोदिमाग चुप हो जाते हैं, वह मैं हूँ।
जिसकी वजह ढुँढना बेमायने होता है ,
उस सुखमें ज़हन इतना डूब जाता है
कि सब खोज ठ़प होती है ,
सारी उलझनें सुलझ जाती हैं ,
सारी बेचैनी ख़त्म होती है ,
वह बेइंतहा आराम मैं हूँ ।
तुम्हारा वजूद जिसे पानेके लिये
तड़पता रहता है वह मैं हूँ ।
मुझे जानो,मुझतक पहुँचो,मुझे पाओ,
उसके बाद तो बस मैं हूँ,
एक मेरे सिवाय और कुछभी नहीं ।
मैं हर तरफ़ हूँ,मैं सबकुछ हूँ ।
मैं वह खुशी हूँ
जो हरपल बढ़ती रहती है ,
हरपल नया रंग लेती है ।
मैं सब्रोअमन हूँ ,
मैं वह बेहद प्यार हूँ
जो सबको अपने दामनमें
समेटे हुए है ।
मैंही वह वजह हूँ
जिसपर दुनिया कायम है ।
मैं अल्लाह हूँ ।