बुधवार, 21 जुलाई 2010

वह मैं हूँ



आँखें मूँदकर अपने भीतर
खुदको देखो वह मैं हूँ
जिसके कारण जग उजियारा
आँखोंका तारा वह मैं हूँ

कभीभी खुदको हीन न समझो
सबका प्यारा वह मैं हूँ
साथ तुम्हारे रहूँ हमेशा
मिलता रहता वह मैं हूँ

कहींभी देखो कभीभी देखो
संग तुम्हारे वह मैं हूँ
जिसकी अमानत जिसका खजाना
तुम हो प्यारे वह मैं हूँ

सबको बताओ जो ना समझे
प्यारका प्यासा वह मैं हूँ
प्यार बिना बेकार है जीना
सबकी जरुरत वह मैं हूँ

ख़ुशी खोजते जहाँ पहुँचते
धर्म सभीके वह मैं हूँ
सभीका ईश्वर सभीका अल्लाह
गॉड सभीका वह मैं हूँ