बुधवार, 21 जुलाई 2010

बैरी



साथ छोड़ दे अपना
मेरा तन बैरी
चंचल भटका जाए
मेरा मन बैरी
दिलकी बात न समझे
मेरा जग बैरी
कैसे मिलन हो परमात्मासे
समझ न पाऊँ मैं बैरी
कुछ तो करो उपाय सतगुरु
तुम ना बैरी सब बैरी
सबको छोडके रंक बना अब
तुम भी तो ना बनो बैरी