मंगलवार, 2 नवंबर 2010

दोस्त



बहुत गहरी बात है आवाज वह अन्दरकी थी

दिलकी नादानीको मेरे यूँही झुठलाना नहीं

प्यारकी परतोंके निचे जानका रिश्ता था वह
तड़पते दिलकी कशिश समझा तुम्हे सकता नहीं

दिलके तोड़े जानेके लाखों बहाने होते है
तुमने दिलको तोड़ा ऐसे बात अचरजकी नहीं

शिकवा गिला कोई नहीं होता है मुश्किल जोड़ना
नज़ाकतसे काम लेना दिल है यह पत्थर नहीं

तुम हमारे हम तुम्हारे दोस्ती महफूज है
वक्तने सबक दिया यह गलती दोहरानी नहीं

अल्लाहके करमसे हमको दोस्त कोई मिलता है
तरसना पड़ता है शायद याद तुमको कुछ नहीं

मैं तो मर चुका हूँ अब काफूर गमभी हो गया
मुँहपे मेरे ख़ाक है पर भूलना मुझको नहीं

मैं मिलूँ या ना मिलूँ यह मेरे हाथों में नहीं
प्यास मिलनेकी बहुत है पर इजाजत है नहीं