बुधवार, 10 अगस्त 2011

नाचीज





जुबान मेरी है अल्फाज तेरे

खाविंद मेरे मैं बन्दा तेरा

मुझपरभी नहीं रहा जोर मेरा

परवरदिगार मुझपे अहसान तेरा


*

औकात मेरी नहीं कुछ खुदाया

तूने दिया सब तेरा शुक्रिया

आका मेरे तूने जो कुछ सुनाया

तेरी कसम मैंने वह गीत गाया


*

नाचीज कुछ और चाहता नहीं है

तेरा नाम लेता मैं काफी यही है

आगे तेरी मर्जी सर यह झुकाया है

नहीं सोचता मैं तेरी मंशा क्या है


*


तुझसे जुदा मेरी हस्ती नहीं

वजूद मेरा अलग कुछ नहीं

इक तू है अल्लाह मैं कुछभी नहीं

तेरा है सब कुछ मेरा कुछ नहीं


माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वर:

बान्धवा: शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम्