जुबान मेरी है अल्फाज तेरे
खाविंद मेरे मैं बन्दा तेरा
मुझपरभी नहीं रहा जोर मेरा
परवरदिगार मुझपे अहसान तेरा
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औकात मेरी नहीं कुछ खुदाया
तूने दिया सब तेरा शुक्रिया
आका मेरे तूने जो कुछ सुनाया
तेरी कसम मैंने वह गीत गाया
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नाचीज कुछ और चाहता नहीं है
तेरा नाम लेता मैं काफी यही है
आगे तेरी मर्जी सर यह झुकाया है
नहीं सोचता मैं तेरी मंशा क्या है
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तुझसे जुदा मेरी हस्ती नहीं
वजूद मेरा अलग कुछ नहीं
इक तू है अल्लाह मैं कुछभी नहीं
तेरा है सब कुछ मेरा कुछ नहीं
ॐ
माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वर:
बान्धवा: शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम्
ॐ