तेरे नाममें रमुं श्रीहरि
और मैं कुछ ना चाहूँ
राम राम मैं कहता जाऊँ
और मैं तुझको पाऊँ
तुझको पाकर धन्य हो जाऊँ
भवसागर तर जाऊँ
परमानन्द को प्राप्त करूँ
और तेरा ही हो जाऊँ
तेरे चरण की धूल मैं बनूँ
सदासुखी हो जाऊँ
शान्तिस्वरूपा प्रभु दयालु
तेरी कृपा मैं पाऊँ
जगतसे मेरा ध्यान हटे
मैं नित्य तुझेही ध्याऊँ
अनित्य है जो भासमात्र है
उससे दूर हो जाऊँ
ॐ