बुधवार, 29 अक्तूबर 2008

हरिदर्शन


प्यार जहाँ वहाँ खुशियाँ नाचे
भक्तोंमें है हरी साँचे
हरी और भक्तमें फर्क नहीं है
हम वृन्दावन पहुँचे
भैया हम तो हरिदर्शनके प्यासे

हरी दिखता हैं भक्तोंजैसा
भक्तभी है हरीजैसे
हरी मुस्काये प्यार उँडेले
भक्त मुदित भक्तिसे
भैया हम तो हरिदर्शनके प्यासे

मीठा अमृत दर्शन हरिका
पाकर हम सुध खोये
बस एक हरिगुन गाये
और अब भूतभविष्य न सोचे
भैया हम तो हरिदर्शनके प्यासे