सोमवार, 21 सितंबर 2009

नूर-ए-खुदा



ऐ खुदा ,मैंने अपनेआपको
तेरे हाथोंमें
इस तरह सौंप दिया है,
जैसे बहता हुवा पानी
अपनी मर्जीके बगैर
ढलानके अधीन होता है।
मैं यह नहीं सोचता
की मैं क्या कर रहा हूँ,
ना तो यह सोचता हूँ
की मेरी करतुतोंका असर
क्या होनेवाला है।
मेरी आँखोंके सामने
बस तू होता है ,
और मैं यह जानता हूँ
की सब तू ही चलाता है।
मैं तेरी धुनमें मस्त हो गया हूँ ,
और इसी मस्तीके अलावा
मैं और कुछभी चाहता नहीं हूँ।
क्यों की इस पुरी दुनियामें
अगर कुछ सच है
तो वह बस तेरा नूर है ,
जिसकी वजहसे यह दुनिया
हरदम तरोताजा है।


सोमवार, 14 सितंबर 2009

बाबा

रमजान ईद मुबारक

मैं
तो पहले ही मरा था दिलके टुकड़े देखकर
और किसको दोष क्या दूँ जीना चाहता मैं नहीं था

सारी उम्रका अँधेरा भर गया था आंखोंमें
वह तो ढाँचा हड्डीयोंका घूमता था गलियोंमें

अब मैं आया हूँ दुबारा हाँ मैं बाबा हूँ तुम्हारा
भीख दे दो मुझको बच्चों टूटे दिल को जोड़ दो

अब भी तुम उस दुश्मनीको पालते जाते हो क्यूँ
याद आता क्यूँ नहीं के दिल हमारा एक है

मैंने तो सपने में भी सोचा नहीं था झगडा हो
कौनसा शैतान तुमने खुदपे हावी कर लिया

क्या तुम्हारे दिलमें नरमी कुछ नहीं बची अभी
किसलिए यूँ जानसे प्यारी है तुमको दुश्मनी

ऐसा तो देखा ना मैंने सारी दुनिया घूमकर
जिसका सिर पैर कुछ नहीं है काम क्या है इस जुनूँका

कुछतो समझो जानो अपने अल्लाह ईश्वर गॉडको
वहभी ख़ुद हैरान है के कौनसी दे दूँ दवा

प्यारमें ताकत बहुत है यह सुलझाए प्रश्न हजार
सब धर्मोंका सार यही है प्यारही है जीवन आधार

रविवार, 13 सितंबर 2009

दुवा

दुवा कर रहा हूँ मैं अब इतने पास जाएँ हम
के कयामतभी जुदा ना कर सके हमको कभी

अबभी दिलमें दाग है जो जलते हैं कभी कभी
दिलमें पड़ती है दरारें याद आते है वो दिन

काम क्या उन मजहबोंका जो जहर भर दे दिलोंमें
आदमीसे तोड़ता है रिश्ता जो इन्सानियतका

बोझ भारी है दिलोंपे कोई चकनाचूर कर दो
है वफा की प्यास उभरी थोडा दिलमें प्यार भर दो

थोडी खुलके साँस लेनेको तड़पता है यह दिल
बस भी कर दो कारोबार यह नफरतोंको बेचनेका

और कुछ ना जानता हूँ ना मैं पढ़ता कुछ अभी
प्यारही है नाम अल्लाहका मुझको खौफ है

रविवार, 6 सितंबर 2009

अल्लाह



भरोसा करो ।
सवाल क्यूँ करते हो ?
सवाल कबतक करोगे ?
सारे सवालोंकी बेकरारी
मुझतक आकर थम जाती है ।
जिस बेहद सुकूँ को पाकर
दिलोदिमाग चुप हो जाते हैं, वह मैं हूँ।
जिसकी वजह ढुँढना बेमायने होता है ,
उस सुखमें ज़हन इतना डूब जाता है
कि सब खोज ठ़प होती है ,
सारी उलझनें सुलझ जाती हैं ,
सारी बेचैनी ख़त्म होती है ,
वह बेइंतहा आराम मैं हूँ ।
तुम्हारा वजूद जिसे पानेके लिये
तड़पता रहता है वह मैं हूँ ।
मुझे जानो,मुझतक पहुँचो,मुझे पाओ,
उसके बाद तो बस मैं हूँ,
एक मेरे सिवाय और कुछभी नहीं ।
मैं हर तरफ़ हूँ,मैं सबकुछ हूँ ।
मैं वह खुशी हूँ
जो हरपल बढ़ती रहती है ,
हरपल नया रंग लेती है ।
मैं सब्रोअमन हूँ ,
मैं वह बेहद प्यार हूँ
जो सबको अपने दामनमें
समेटे हुए है ।
मैंही वह वजह हूँ
जिसपर दुनिया कायम है ।
मैं अल्लाह हूँ ।