सोमवार, 14 सितंबर 2009

बाबा

रमजान ईद मुबारक

मैं
तो पहले ही मरा था दिलके टुकड़े देखकर
और किसको दोष क्या दूँ जीना चाहता मैं नहीं था

सारी उम्रका अँधेरा भर गया था आंखोंमें
वह तो ढाँचा हड्डीयोंका घूमता था गलियोंमें

अब मैं आया हूँ दुबारा हाँ मैं बाबा हूँ तुम्हारा
भीख दे दो मुझको बच्चों टूटे दिल को जोड़ दो

अब भी तुम उस दुश्मनीको पालते जाते हो क्यूँ
याद आता क्यूँ नहीं के दिल हमारा एक है

मैंने तो सपने में भी सोचा नहीं था झगडा हो
कौनसा शैतान तुमने खुदपे हावी कर लिया

क्या तुम्हारे दिलमें नरमी कुछ नहीं बची अभी
किसलिए यूँ जानसे प्यारी है तुमको दुश्मनी

ऐसा तो देखा ना मैंने सारी दुनिया घूमकर
जिसका सिर पैर कुछ नहीं है काम क्या है इस जुनूँका

कुछतो समझो जानो अपने अल्लाह ईश्वर गॉडको
वहभी ख़ुद हैरान है के कौनसी दे दूँ दवा

प्यारमें ताकत बहुत है यह सुलझाए प्रश्न हजार
सब धर्मोंका सार यही है प्यारही है जीवन आधार