मंगलवार, 18 मई 2010

पुकार



मरना मारना छोड़ दो
कुछ जीनेकी बात करो
अब तौबा करो जंगसे
यह जिहादका वक़्त नहीं यारों

कब तक घिन पालते रहोगे
प्यारभी कोई चीज हैं प्यारों
इस्लाम रहमतका नाम है
अल्लाहको रुसवा मत करो

लहू लुहान हो गये हो
झुलस रहे तुम्हारे बदन
शैतानके शिकंजेसे
छुडाभी लो अपने ज़हन

अमनका पैगाम सुनो
चैनकी अब साँस लो
गलतफहमीके धुँदले बादल
पिघल रहे है देख लो

चाहता मैं कुछ नहीं
बेवजह यह प्यार है
सुन सकते हो तो सुनो
यह दिलसे दिलकी पुकार है