प्यारमें मश्गुल तेरे
मैं आया हूँ दहलीजपे
तू नहीं ठुकराएगा
दिलमें मेरे ऐतबार है
जिस्म मेरी खोखली है
नमाज करूँ ना करूँ
ऊँचे उन जजबातोंका
यह तो महज इजहार है
पाँचकी क्या बात है
हर वक्त तेरा साथ है
तेरे सिवाय कुछ और अब
आता नहीं जहनमें है
खुदाया मन्शा तेरी है
मैं दिलोंको जोड़ दूँ
मुझको इस काबिल समझता
यह तेरा इन्साफ है
तेरी खिदमत करूँ अल्लाह
और कुछ मैं ना करूँ
बंदगीही तेरी अब
इस जिन्दगीका फर्ज है
.
सुनके तानें लोगोंकी जब
चाहा कागज़ फाड़ दूँ
खुदानेही रोका उसपे
नाम जो खुदाका है
क्या करूँ मैं अब खुदाया
सह नहीं सकता हूँ मैं
क्या दिया यह काम मुझको
क्या रहम तेरा यह है
मेरी चाहत कुछ नहीं है
तू चलाता मैं चलूँ
तेरी है आवाज अल्लाह
क्या मेरी जुर्रत यह है
मैं बना मायूस जब तो
खुदानेही कहा मुझको
मैं हूँ लोगोंके लिये
ओर लोगभी ये मेरे है
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हे विश्वची माझे घर । ऐसी मति जयाची स्थिर । किंबहुना चराचर । आपण झाला ।।