मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

दुवा



बच्चों मन खराब मत करना
ऐसा नहीं की मैं सबकी खामियाँ
उजागर करना चाहता हूँ
मेरा कहना है की हम एक हैं

ऐसा भी नहीं की मैं कुछ
नयी बात कह रहा हूँ
ऐसा भी नहीं की मैं
तुम्हे गुमराह कर रहा हूँ

मेरे एक हाथ में अपने
बुजुर्गोंका हाथ है
मेरे दुसरे हाथ में
तुम्हारा हाथ है

अगर मैं यह काम
आज न करूँ तो
शायद ज़माना मुझे
कभी माफ़ नहीं करेगा

और अगर तुम यह बात
आज न समझ लो
तो हम इसी तरह
टुकडोंमे जीते रहेंगे

दिल छोटा मत करो
एक हो जाओ
कुदरत के न्याय से
द्रोह मत करो

हम बुजुर्ग तुम्हारी
खुशियों भरी और
लम्बी उम्र के लिए
दुवा माँगते हैं

FORGIVE AND FORGET
GOD IS GREAT
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हे विश्वची माझे घर ऐसी मति जयाची स्थिर
किंबहुना चराचर आपण झाला