तृष्णाके त्यागसे
परमपद प्राप्त होता है
जैसे ऊपर जानेवाली
ज्वाला निष्फल होती है
उस तरह अपने
कर्म निष्फल समझो
उनसे कोई अपेक्षा मत करो
और जो कुछ मिलता है
उसमें संतुष्ट रहो
जितना हो सके
उतनाही काम करो
उतनाही काम करो
जिंदगी आपसे बहुत
अपेक्षा नहीं करती
इसलिए जरुरतसे
ज्यादा काम मत करो
ॐ
प्रखर प्रज्ञायै विद्महे
महाकालायै धीमहि
तन्नो श्रीराम:
प्रचोदयात्
ॐ