बुधवार, 3 अप्रैल 2013

अरे गोविंदा



तू और मैं एकही 
है ना रे गोविंदा 

मैं ब्रह्म तू भी ब्रह्म 
है ना रे गोविंदा 

तुझसे जुदाई मैं 
ना सहूँ गोविंदा 

अब तो एकरस हम 
हो जाएँ गोविंदा 

किसलिये यह झूठा 
द्वैत रे गोविंदा 

नहीं मानता मैं 
माया रे गोविंदा 

वरना यह भक्ति भी 
ना चाहूँ गोविंदा 

मैं ही भगवान हूँ 
सही है ना गोविंदा 

तेरे बगैर और कुछ 
क्या काम का गोविंदा 

जिद यह मेरी मान ले 
मेरा तू गोविंदा 

ॐ 
हम सब एक हैं 
ॐ