रविवार, 26 अक्तूबर 2008

किरपा { कृपा }




यहाँ सबके लिए जगह है रे
यहाँ कोई नहीं है अछुता
रामा सबपे तेरी किरपा

सबके लिए तेरी एक है वाणी
काहे नहीं समझता प्राणी
तेरी ओर मुंह फेरके बैठा
पाकर यह धन सत्ता
रामा सबपे तेरी किरपा

सब है तेरे प्यारे बच्चे
तुही पिता है सबका
रामा सबपे तेरी किरपा

तू गरीबमें ,तू कंगालमें
लंगडेलुलेमें तू बिराजे
मांगे रोटी , हमको परखे
हम अकड़े ; तू हंसता
रामा सबपे तेरी किरपा

सबपर तेरा ध्यान है रे
चाहे खल हो या हो संता
रामा सबपे तेरी किरपा

तुही है सकल जीवजन्तुमें
तुही गाय , भैंस , कुत्तेमें
सकल चराचरमें तू बैठा
दर्शन हमको देता
रामा सबपे तेरी किरपा

सदा हमारी उंगली थामे
छोडे न साथ हमारा
रामा सबपे तेरी किरपा

सुख दुख तो है आता जाता
धूप छाँवका है यह नाता
जीवन मृत्यु का तू विधाता
तुझमें जग है समेटा
रामा सबपे तेरी किरपा

ॐ