मंगलवार, 28 अक्तूबर 2008

भज ले सीताराम


सब दुख तेरे मिट जायेंगे
बनेंगे बिगडे काम
के मन मेरे भज ले सीताराम

एकही सुख हैं इस दुनियामें
रामनाम भज प्यारे
रस जीनेका मिल जायेगा
आयेगा आराम
के मन मेरे भज ले सीताराम

चाहता हैं क्या , पहचानेगा
पाना हैं जो , मिल जायेगा
जिसकी खातिर दर दर भटका
सुबह दोपहर शाम
के मन मेरे भज ले सीताराम

राम हैं दाता इस दुनियाका
फिकर काहेको करता
छोडके खुदको रामभरोसे
किये जा अपना काम
के मन मेरे भज ले सीताराम

जीना तेरा उसकी मर्जी
तू काहेको सोचे
राखे तुझको राम दयालु
रट ले उसका नाम
के मन मेरे भज ले सीताराम

ठंडक तुझको देता हैं जो
कल्पतरुकी छाया हैं जो
क्यूँ ना उसका नाम तू जपता
तेरा जो विश्राम
के मन मेरे भज ले सीताराम